बुधवार, 13 जनवरी 2021

सांडा {स्पाईनी टैलेड लिजार्ड} SANDA [ Spiny-tailed lizard]

  परिचय :- सांडा पश्चिमी राजस्थान के गर्म इलाकों की रेत में रेंगता यह मासूम सा जीव सांडा कहलाता है जिसका मरुस्थलीय खाद्य श्रंखला में एक महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन इस मासूम जीव को लोगों द्वारा यौनशक्ति वर्धक एवं शारीरिक दर्द के उपचार की झूठी कहानी फैलाकर शाम की संध्या में अवैध शिकार किया जाता है जिसके परिणाम स्वरूप इस जीव की संख्या लगातार कम होती जा रही है सांडा छिपकली वर्ग का एक सदस्य है| इसका अंग्रेजी नाम  Spiny-tailed lizard  है जो इसके पूंछ पर पाए जाने वाले कांटेदार शल्क के अनेक छलो की श्रंखला के कारण मिला है इसका वैज्ञानिक नाम सारा हार्डविकी हैं सांडा  में नर 40 से 45 सेंटीमीटर आकार में तथा मादा 35 से 40 सेंटीमीटर आकार में होती है नर की पूंछ उसके शरीर की लंबाई के बराबर या अधिक तथा अंतिम छोर पर नुकीली होती हैं जबकि मादा की पूंछ शरीर की लंबाई से छोटी तथा अंतिम छोर पर मोटी होती है भारत में पश्चिम क्षेत्र में पाए जाने वाली इस छिपकली (राजस्थान के रेगिस्तान और कच्छ के रण) दोनों में एक भिन्नता पाई जाती है रेगिस्तान के क्षेत्रों में पाए जाने वाले सांडा के पिछले पैरों की जांघों के दोनों तरफ हल्का चमकीला नीला रंग देखने को मिलता है जबकि कच्छ के रण के सांडा  में ऐसा नहीं हैं 

सांडा का फोटो 

आवास :- रेगिस्तान  की भीषण गर्मी से बचने के लिए यह जीव भी अन्य मरुस्थलीय जीवो की तरह भूमिगत मांद में रहते हैं सांडा का आवास धरती के अंदर टेडा मेढा, सर्पिलाकार 3 से 4 सेंटीमीटर तक गहरा होता है मांद के अंदर का तापमान बाहर की तुलना में काफी कम होता है| रेगिस्तान की कठोर जलवायु में जीवित रहने के लिए मांद बनाना यह एक आवश्यक कौशल है पैदा होने के कुछ ही समय बाद सांडा के शिशु मादा के साथ भोजन की तलाश के साथ-साथ मांद की खुदाई सीखना भी शुरू कर देते हैं

सांडा के आवास में रेंड सेंड बौआ का प्रवेश 


भोजन :- सांडा का आहार मुख्यतः वनस्पति, घास एवं पत्तियां तक सीमित रहता है लेकिन शिशु सांडा वनस्पति के साथ-साथ कीटों, चींटी ,दिमक एवं टिड्डों को अपना आहर बनाते हैं

                  विशेषता => वनस्पति व घास को फूंक मारकर साफ करके खाता हैं | 

प्रजनन :- सांडा का प्रजनन काल फरवरी से शुरू होता है और इनके छोटे शिशुओं को बरसात के मौसम आने {जून जुलाई } तक घास के इलाकों में उछल-कूद करते देखा जा सकता है

परभक्षी जीवों से सुरक्षा :- जैसा कि आपको शुरू से ही बताया गया है कि सांडा मरुस्थलीय खाद्य श्रंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इसके शरीर में वसा की अधिक मात्रा के कारण रेगिस्तान में कई परभक्षी जीवों का प्रमुख भोजन है सांडा को भूमि तथा हवा दोनों तरफ से परभक्षी जीवो से खतरा रहता है मरुस्थल क्षेत्र में विषहीन रेड सैंड बोआ सांप अपने शरीर की जकड़न में दबोचकर सांडा का शिकार करता है सांडा अपने बचाव में पंजों को जमीन पर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश करता है मरू लोमड़ी को भी सांडा की मांद को खोदकर शिकार करते पाया गया है हवा से भी कुछ परभक्षी जीवो द्वारा सांडे का शिकार किया जाता है इन परभक्षी जीवों से बचने के लिए सांडा ने भी अपनी सुरक्षा के लिए कई तरीके विकसित किए हैं हालांकि इसके पास कोई आक्रामक सुरक्षा प्रणाली तो नहीं है परन्तु इसका छलावरण ,फुर्ती एवं सतर्कता इसके प्रमुख सुरक्षा उपाय हैं इसकी त्वचा का रंग रेत एवं सुखी घास के समान होने के कारण यह अपने आसपास के परिवेश में अच्छी तरह  घुल- मिल जाता है | इसके अलावा सांडा शिकारियों से बचने के लिए अपनी तेज गति पर निर्भर रहता है यह भोजन की तलाश में अपने मांद  से ज्यादा दूर नहीं जाते हैं और अपने आगे के पैरों के बल सिर को  ऊपर उठाकर पूंछ को धनुषाकार करके रहता हैं और मामूली सी हलचल से खतरा भांप कर तेजी से अपने मांद में चला जाता हैं 

सांडा का शिकार रेंड सेंड बौआ साँप द्वारा 

खतरे को भांपता हुआ सांडा 

सांडा से जुड़ी भ्रांति  :- इस जीव से जुड़ी एक भ्रांति है बस यही भ्रांति सांडा की घटती आबादी का मुख्य कारण है लोगों का मानना है कि सांडा का तेल यौनशक्ति वर्धक एवं शारीरिक दर्द निवारक के रूप में होता है और सांडा को खाने से शरीर में ताकत आती है जो कि बिल्कुल निराधार है अर्थात यह महज एक लोगों द्वारा फैलाई गई भ्रांति है हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है इस तेल का बताया गया लक्षण एक अंधविश्वास है इस तेल के रासायनिक गुण किसी भी अन्य जीव की चर्बी के तेल के समान ही है इस अंधविश्वास के कारण इस मासूम जीव का अत्यधिक शिकार किया जाता है

सरकार के सुरक्षा कवच :- सांडा के अवैध शिकार को रोकने तथा इस प्रजाति को बचाने के लिए इस जीव को भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 2 के भाग 2 में रखा गया है जिसमें दोषी को कठोरतम सजा का प्रावधान है


[दोस्तों मेरे इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य लोगों में फैली इस गलत धारणा को दूर करने का है आपको सांडा के बारे में मिली जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि इस मासूम जीव को बचाया जा सके]

                                                                                  धन्यवाद 

                                                                                                                                                        


English translate =

                                 introduction :- Saanda crawling in the sands of the hot areas of western Rajasthan. This innocent little creature is called Sanda, which has an important role in the desert food chain, but this innocent creature is poached in the evening of the evening by spreading false story of sexual enhancement and physical pain treatment As a result of which the number of this organism is continuously decreasing, Saanda is a member of the lizard class. Its English name is Spiny-tailed lizard, which is derived from the series of many rings of prickly shells found on its tail. Its scientific name is Sara Hardwiki. The male in the bull is 40 to 45 cm in size and the female is 35 to 40 cm in size. The tail of the male is equal to or more than the length of its body and is pointed at the end while the tail of the female is shorter than the length of the body and thick at the end, this lizard found in the western region of India (desert of Rajasthan and A variation of both is found in the Rann of Kutch) Light bright blue color is seen on either side of the thighs of the hind legs of the sands found in the areas of the desert, whereas in the sand of the Rann of Kutch, it is not so.

Photo of saanda

Accommodation :-  To survive the scorching heat of the desert, these creatures also live in underground dens like other desert creatures. The habitat of sand is teda ram inside the earth, the spiral is 3 to 4 cm deep. The temperature inside the den is much lower than outside. It happens. It is an essential skill to make a den to survive in the harsh desert climate. Shortly after being born, the bulls of the bull start learning to hunt food with the female as well as learn to dig the den.              

food :-  The diet of the bull is mainly limited to the vegetation, grasses and leaves, but the baby sanda vegetation as well as insects, ants, dimples and grasshoppers make it their own.                

Specialty => Clean the vegetation and grass and eat it.

Reproduction :- The breeding period of bulls starts from February and their young babies can be seen jumping in the grasslands till the rainy season {June-July}. 


Protection from predators :- As you have been told from the beginning that Sanda is an important part of the desert food chain, due to its high amount of body fat, the desert is the staple food of many predators in the desert. The bull is threatened by predators from both land and air. In the desert's area, the venomous red sand boa snake snaps into the tightness of its body and hunts the bulls. Sanda tries to hold the claws to the ground in his defense. The maru fox has also been found hunting by digging the sand's den. Sanday is also hunted by some predatory creatures to avoid these predatory organisms. Sande has also developed several methods for its protection, although it does not have an aggressive security system but its camouflage, agility and vigilance are its main There are safety measures, due to its skin color like sand and dry grass, it mixes well in its surroundings. Apart from this, Sanda relies on his speed to avoid predators.He does not go far from his lair in search of food and keeps his front legs up by raising the head and arching the tail and with slight movement. Sensing the danger, he quickly goes into his den. 

Saanda hunted by Rand Senda boaa Snake

The misconception related to the bull :- There is a misconception associated with this organism, this misconception is the main reason for the decreasing population of the bulls. People believe that the oil of sand is as a sexual enhancer and physical pain reliever and eating the Sunday gives strength in the body which is absolutely It is baseless, that is, it is just a misconception spread by one people. In reality, there is nothing like this. Innocent creatures are heavily hunted. 


Government Security Guard :- To prevent poaching and save this species, this animal has been kept in Part 2 of Schedule 2 of the Indian Wildlife Protection Act 1972, which provides the harshest punishment to the guilty. 


     [Friends, the main purpose of this article of mine is to dispel this misconception spread among people by commenting on how you got information about the bull, and share this article with your friends also so that this innocent creature can be saved. Could]

                                                              

                                                                Thank you


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