रोहिड़ा का पेड़ [Rohida tree]
परिचय :- रोहिड़ा रेगिस्तान के क्षेत्र में पाया जाने वाला यह बहुमूल्य वृक्ष है रोहिडा राजस्थान का राज्य पुष्प है जो 31अक्टूबर 1983 को घोषित हुआ रोहिड़ा का वैज्ञानिक नाम टेकोमेला अंडू लेटा है यह पेड़ थार रेगिस्तान के अलावा शुष्क जलवायु वाले मैदानी और पहाड़ी जगह पर भी काफी संख्या में पाए जाते हैं इस पेड़ की पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है इस पेड़ को मारवाड़ का सागवान कहते हैं यह पेड़ विपरीत परिस्थितियों जैसे बहुत कम वर्षा ,रेगिस्तान की भीषण गर्मी ,अधिक तापमान ,और न्यूनतम तापमान जैसी परिस्थिति को सहन करके भी जीवित रहने की शक्ति रखता है यह पेड़ औसतन 10 से 15 मीटर लंबाई में होता है इस पेड़ पर कैर की तरह साल में दो बार फूल आते हैं जो पीले, लाल और नारंगी रंग में होते हैं यह पेड़ मरूभूमि प्रसार को रोकने में कारगर सिद्ध हुआ है क्योंकि यह पेड़ विकट परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता रखता है |
लकड़ी :- इस पेड़ की लकड़ी कठोर और मजबूत होती है| रोहिड़े के पेड़ की लकड़ी का उपयोग दरवाजो, खिड़कियों, चारपाई, फर्नीचर और कृषि यंत्रों को बनाने में किया जाता है इस पेड़ की लकड़ी मजबूती के साथ साथ टिकाऊ की होती है हालांकि इसकी लकड़ी महंगी होती है इसी तरह टिकाऊ और महंगी शीशम की लकड़ी होती है इस कारण इसको आम बोल-चाल में रेगिस्तान का शीशम भी कहते हैं
फूल :- रोहिडा पेड़ की पहचान लकड़ी के साथ-साथ इस पेड़ के आकर्षक फूलों से भी है इस पेड़ के सर्दी के मौसम में फूलों की बहार आई हुई होती है | इनके फूल मुख्य रूप से तीन रंगों में होते हैं लाल नारंगी और पीले इस पेड़ के फूल गंधहीन होते हैं और आकर्षक होते हैं इन फूलों को धार्मिक स्थलों, पर्वो, पूजा-पाठ आदि में उपयोग लिया जाता है जब इस पेड़ पर फूलों की बहार आती है तब अन्य जीव-जंतुओं का पोषण भी होता है मुख्य रूप से फूलों के रस को मधुमक्खियों, पक्षियों, कीट पतंगों, रस भक्षी जीवो द्वारा चूसा जाता है | पालतू पशुओं जैसे गाय -भैंस ,भेड़ , बकरियां ,ऊंट आदि इस पेड़ के फूलों को बड़े चाव से खाते हैं |
पत्तियां :- रोहिड़े के पेड़ की पत्तियां इसकी झुकी हुई शाखाओं पर छोटी-छोटी होती हैं पत्तियां लंबी और आगे के भाग पर नुकिली होती है इस पेड़ की पत्तियां ऊपर से हरे रंग में तथा नीचे से हल्के हरे रंग में होती है इन पत्तियों को पालतू पशुओं द्वारा चारे के रूप में बड़े चाव से खाया जाता है
बीज :- इस पेड़ के जब फल लगते हैं तब उनका आकार चंद्राकार होता है इस फल के अंदर बीज बालदार होते हैं यह बीच इन बालों की वजह से रेगिस्तान में कोसों दूर हवा में उड़ कर चले जाते हैं
लाभ :- जैसा कि आपको लकड़ी और फूलों में बताया गया है की इसकी लकड़ी का मानव जीवन में आर्थिक लाभ लिया जाता है और फूलों को पालतू पशुओं के चारे के रूप में उपयोग लेते हैं रोहिड़े का पेड़ औषधि रूपों में भी लाभ देता है जैसा कि फोड़े फुंसियों में और मूत्र संबंधित रोगों में होता है| लीवर संबंधित बीमारी में रोहिड़े के पेड़ को रामबाण माना गया है रोहिड़े के पेड़ की छाल का उपयोग भी औषधियों रूपों में होता है इस पेड़ का एक महत्वपूर्ण लाभ रेगिस्तान में मिट्टी के प्रसार को रोकने में किया जाता है सरकार और वन विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं में इस पेड़ को ज्यादातर पनपाया जाता है
आमजन से खतरा :- रेगिस्तान के सुशोभित इस आकर्षक पेड़ का आमजन दुश्मन बना हुआ है मानव द्वारा अपने लाभ के लिए इस पेड़ की अंधाधुंध कटाई की जा रही है क्योंकि इस पेड़ की लकड़ी काफी महंगी और टिकाऊ होती हैं लेकिन लोगों द्वारा यह बात भी भूलनी नहीं चाहिए कि इस कीमती पेड़ को बचाने के लिए सरकार द्वारा कड़े नियम लागू किए हुए हैं राजस्थान वन अधिनियम 1953 में इस पेड़ को काटने, नुकसान पहुंचाने या परिवहन करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है इसलिए इस पेड़ को अगर किसी मजबूरी में काटना पड़े तो सरकार से अनुमति लेकर ही काटे|
दोस्तों आप द्वारा इस पेड़ के बारे में पढ़ी गई जानकारी कैसी लगी कमेंट जरूर करें इसके अलावा इस पेड़ को लेकर आपका कोई सुझाव हो तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से भी कह सकते हैं तथा अपने दोस्तों को भी इस पेड़ की अहमियत बताने के लिए इस पोस्ट को शेयर जरूर करें |
धन्यवाद एक फोरेस्टर की कलम से
English translate:-
Introduction:- This valuable tree found in the area of Rohida Desert, Rohida is the state flower of Rajasthan, which was declared on 31 October 1983, the scientific name of Rohida is Tecomela undu Lata. This tree is found to have an important role in maintaining environmental balance and biodiversity. This tree is called the teak of Marwar. This tree tolerates adverse conditions like very low rainfall, severe heat of desert, high temperature, and minimum temperature. It also has the power to survive. This tree is on average 10 to 15 meters in length. This tree has flowers like carr, which are yellow, red and orange in color, this tree is effective in preventing desert spread. It has been proven because this tree has the ability to survive even under severe conditions.
Wood:- The wood of this tree is hard and strong. The wood of the Rohida tree is used to make doors, windows, cots, furniture and agricultural machinery. The wood of this tree is strong and durable, although its wood is expensive, similarly durable and expensive rosewood wood. Due to this, it is also called the head of the desert in common parlance.
Flower:- Rohida tree is also identified with the attractive flowers of this tree along with wood. Flowers come out in the winter season of this tree. Their flowers are mainly in three colors, red orange and yellow. The flowers of this tree are odorless and are attractive. These flowers are used in religious places, festivals, pooja etc. when the flowers come out on this tree. Then other animals and animals are also nourished, mainly the juice of flowers is sucked up by bees, birds, insect moths, juice-eating creatures. Domestic animals like cows-buffalo, sheep, goats, camels etc. eat the flowers of this tree with great fervor.
Leaves:- The leaves of the Rohida tree are small on its bent branches, the leaves are long and pointed at the front. The leaves of this tree are green in color from the top and light green from the bottom. Is eaten with great fervor.
Seed:- When the fruits of this tree grow, then their shape is crescent, the seeds inside this fruit are hairy, because of these hairs, they fly away in the desert in the air for many years.
Benefit:- As you have been told in wood and flowers that its wood is taken financially in human life and flowers are used as pet feed, Rohida tree also gives benefits in medicine forms as in boils. And occurs in urinary related diseases. Rohida tree has been considered a panacea in liver related disease. The bark of Rohida tree is also used in medicinal forms. An important advantage of this tree is to prevent the spread of soil in the desert in various schemes by the government and forest department. This tree is mostly grown.
Public danger:- The common enemy of this attractive tree beautifies the desert, this tree is being harvested indiscriminately by humans for its own benefit because the wood of this tree is quite expensive and durable but people should not forget that this precious Stringent rules have been enforced by the government to save the tree. The Rajasthan Forest Act 1953 provides punishment and fine for cutting, harming or transporting this tree, so if the tree has to be cut under any compulsion, take permission from the government Cut it.
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