गोह {Goh}
परिचय :- छिपकली प्रजाति का जंगली जीव है| यह आकार में नेवले के बराबर का होता है इसका वैज्ञानिक नाम मोनीटर लिजार्ड है गोह को पाटागोह और बीचपड़ी आदि अन्य नाम से भी जाना जाता है गोह का शरीर भूरे रंग का होता है यह जीव जहरीला नहीं होता है लेकिन काफी गुस्सेल स्वभाव का होता है इसको छेड़ने पर धू की जोर से आवाज करती है गोह लोगों द्वारा जहरीला समझ कर मार देते हैं यही कारण रहा है कि वर्तमान में इस प्राणी का जीवन खतरे में है एक यह भी कारण है कि गोह की तरह दिखने वाला गोयरा जो कि जहरीला जीव होता है कुछ लोगों गोह को गोयरा समझ कर मार देते हैं लेकिन कोई भी जीव कितना भी जहरीला क्यों ना हो बिना छेड़ने पर कोई कुछ नुकसान नहीं पहुंचाता है इसलिए इन जीवो को नुकसान न देकर इस अज्ञानता में जो लोग मारते हैं उनसे भी इनकी रक्षा करनी चाहिए क्योंकि पर्यावरण संतुलन में जीवों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है अगर इस जीव के शरीर को देखा जाए तो भूरे रंग का होता है और इसके शरीर की चमड़ी काफी मोटी और मजबूत होती है गोह की एक खास बात रही है कि इसके शरीर की पकड़ बहुत मजबूत होती है और यही कारण है कि प्राचीन समय में चोर किसी ऊंची दीवार पर चढ़ने के लिए इस जीव को इस्तेमाल करते थे इसके अलावा यह भी सुनने में आया है कि प्राचीन समय में लड़ाई के समय सैनिकों द्वारा अपनी अंगुलियों की रक्षा के लिए इस के शरीर के चमड़े से बने मजबूत दस्ताने उपयोग में लेते थे गोह सांप की तरह जीभ लपलपाती रहती है गोह की पुंछ लंबी और चपटी होती है दाँत नुकीले ,थूथन का सिरा चपटा होता है गोह की पुंछ की मार काफी खतरनाक होती है और जब भागती है तब पूछ को ऊपर उठाकर भागती है
गोह |
भोजन :- गोह मांसाहारी जीव होता है जो छिपकलिया, मछलियां ,खेतों में कीड़े मकोड़े और अंडे खाती है इसकी जीभ सांप की तरह दुफकी होती हैं जो शिकार के समय बार-बार बाहर निकलती है गोह कितना भी सड़ा मांस हो खा लेती है जिससे उनके दांतों में बैक्टीरिया पनप जाते हैं जिससे किसी को काटने पर उल्टी ,चक्कर आने जैसी समस्या आ जाती है
संरक्षण :- गोह का प्राकृतिक पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है गोह दुनिया का कितना भी सड़ा से सड़ा मास हो खा लेती है खेतों में छोटे कीड़े मकोड़े खाकर पर्यावरण संतुलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है इसको बचाने के लिए सरकार ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 2 के भाग 2 में रखा है जिसमें इस जीव को मारने या नुकसान पहुंचाने पर सजा का प्रावधान हैशिकार की ताक में गोह
=> दोस्तों मेरे इस आर्टिकल का मुख्य उद्देश्य लोगों में इस जीव को लेकर जो संशय है उनको दूर करना है और इस जीव कि पर्यावरण में कितनी महत्वपूर्ण अहमियत है इनको बताना है ताकि किसी गलतफहमी में न आकर बल्कि हकीकत से रूबरू होकर ऐसे जीवों का संरक्षण करना है जिससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी संतुलन बना रहे और ऐसे अमुक जीव स्वतंत्र जीवनयापन कर सकें |
एक फोरेस्टर की कलम से🖋️🖋️
धन्यवाद
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